सफारी का नया सत्र: रणथंभौर और सारिस्का ने खोले अपने द्वार

रणथंभौर और सारिस्का नेशनल पार्क ने अक्टूबर 2025 से अपने नए सफारी सत्र की शुरुआत कर दी है। बाघ प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह रोमांचक खबर है क्योंकि मानसून के बाद जंगल फिर से हरे-भरे हो चुके हैं और वन्यजीव गतिविधियाँ चरम पर हैं। अब पर्यटक ऑनलाइन सफारी बुकिंग कर सकते हैं और राजस्थान के इन प्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व्स की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। यदि आप इस सीज़न में बाघ देखने का सपना पूरा करना चाहते हैं, तो अग्रिम बुकिंग करना न भूलें — सीटें सीमित हैं और मांग तेजी से बढ़ रही है।

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10/11/20251 min read

सफारी सीजन की शुरुआत

1 अक्टूबर 2023 से, रणथंभौर और सारिस्का ने अपने सफारी सीजन के उद्घाटन की तैयारी कर ली है। ये दो प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान, जो भारतीय वन्य जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, हर साल पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहते हैं। इस वर्ष, कोर जोन (जोन 1-5) के द्वार पर्यटकों के लिए खोल दिए गए हैं, जिससे सफारी प्रेमियों को एक बार फिर से इन विशिष्ट स्थलों की यात्रा का मौका मिलेगा।

प्राकृतिक सौंदर्य और वन्य जीवों की समृद्ध विविधता के लिए प्रसिद्ध, रणथंभौर और सारिस्का दोनों ही सफारी के अनुभव को एक नई ऊँचाई पर ले जाने के लिए तैयार हैं। इन क्षेत्रों में बाघों, हिरनों, पक्षियों, और अन्य वन्य जीवों की एक बड़ी जनसंख्या है, जो पर्यटकों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है। सफारी सीजन की शुरुआत के साथ, वन्यजीवों की गतिविधियाँ अधिक सक्रिय होती हैं, और ऐसे में पर्यटक इन जीवों को उनके स्वाभाविक आवास में देख सकते हैं।

इस साल, आने वाले पर्यटकों के लिए कई नई घोषणाएँ भी की गई हैं, जिसमें गाइडेड टूर, फोटो सफारी और विशेष पैकेज शामिल हैं। इससे यह सीजन और भी खास बनने की उम्मीद है। अब पर्यटक न केवल वन्य जीवों को देख सकेंगे, बल्कि उनकी पहचान और संरक्षण के प्रयासों के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इसे ध्यान में रखते हुए, रणथंभौर और सारिस्का दोनों ही सफारी केवल एक रोमांचक यात्रा नहीं, बल्कि एक ज्ञानवर्धक अनुभव भी प्रदान करने का लक्ष्य रख रहे हैं।

मानसून ब्रेक के बाद का जंगली जीवन

मानसून के बाद का समय भारतीय स्थलीय पारिस्थितिकी में एक महत्वपूर्ण मोड़ प्रस्तुत करता है। जैसे ही बारिश का मौसम समाप्त होता है, तापमान में ठंडक आती है, जिससे जंगलों का वातावरण समृद्ध और जीवंत हो जाता है। यह बदलाव जंगल में हरियाली को बढ़ावा देता है, जिससे वनस्पति और प्रजातियों के विकास में तेजी आती है। ताजगी भरे वातावरण में पेड़-पौधे नए पत्ते और फूल उगाते हैं, जिससे जंगली जीवन का अनुभव और भी आकर्षक बनता है।

इस समय, रणथंभौर और सारिस्का जैसे संरक्षित क्षेत्रों में वन्य जीवों की गतिविधियाँ अत्यधिक बढ़ जाती हैं। ताजगी से भरे वातावरण में, वन्य जीव जैसे बाघ, तेंदुए और अन्य स्तनधारी अपने प्राकृतिक आवास में अधिक सक्रिय हो जाते हैं। वे अपने क्षेत्र के भीतर खाद्य खोजने और सामाजिक इंटरेक्शन में अधिक संलग्न होते हैं। इसके अलावा, मादा बाघों द्वारा अपने छोटे बच्चों को खिलाना और उनकी देखभाल करना भी इस मौसम में देखने को मिलता है, जो पर्यटकों के लिए रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।

मानसून के बाद, इन जंगलों की हरियाली और जीव-जंतु गतिविधियाँ सफारी अनुभव को सहज और अद्भुत बनाती हैं। पर्यटकों के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है, क्योंकि वे अधिकतम प्रजातियों को देखने की संभावना के साथ सफारी का आनंद उठा सकते हैं। जब पर्यटक हरे-भरे दृश्यों के बीच सफारी करते हैं, तो वे न केवल वन्य जीवों के विविध स्वरूपों का अवलोकन करते हैं, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य का भी अनुभव करते हैं। इस प्रकार, मानसून के बाद का समय सफारी प्रेमियों के लिए एक सपनों जैसा अनुभव प्रदान करता है।

पर्यटकों के लिए तैयारी

रणथंभौर और सारिस्का में सफारी का अनुभव लेने के लिए पर्यटकों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आप सही समय पर यात्राएं करें और आवश्यक सामान लेकर चलें। आमतौर पर, आसमान में बेहतर दृश्यता और कम तापमान के लिए सुबह या शाम का समय सफारी के लिए सबसे अच्छा होता है। इन समयों में जीव-जंतुओं के सक्रिय होने की संभावना अधिक होती है, जिससे अच्छे फोटोग्राफ लेने का अवसर भी मिलता है।

सफारी के अनुभव को सुरक्षित और सुखद बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझावों का पालन करना आवश्यक है। सबसे पहले, हमेशा गाइड के निर्देशों का पालन करें। गाइड सामान्यतः क्षेत्र की जीव-जंतुओं के व्यवहार और सुरक्षा नियमों के बारे में जानकारी देते हैं, जो आपकी सफारी को सुरक्षित बनाते हैं। इसके अलावा, वाहन में हमेशा सीट बेल्ट बांधे रहें और अचानक मवेशियों को देखने पर तेज आवाजें ना करें, क्योंकि यह जानवरों को परेशान कर सकता है।

सफारी के दौरान जरूरी सामान को साथ ले जाना भी बेहद महत्वपूर्ण है। एक अच्छी गुणवत्ता वाला कैमरा, बिनोकुलर और जलवायु के अनुसार कपड़े सुनिश्चित करें। शीतलता के लिए पानी की बोतल और कुछ पौष्टिक स्नैक्स भी लेकर चलें। सफारी की लंबाई के हिसाब से उचित मात्रा में सनस्क्रीन, हैट, और कीटाणु रोधी स्प्रे भी साथ रखें। यह चीजें आपकी सफारी के अनुभव को और भी खुशगवार बना सकती हैं। यात्रा की योजना बनाते समय इन सभी बिंदुओं का ध्यान रखना सुनिश्चित करें ताकि आप सफारी का आनंद ले सकें और यादगार अनुभव बना सकें।

स्थानीय संस्कृति और संरक्षण प्रयास

रणथंभौर और सारिस्का ऐसे क्षेत्र हैं जहां की स्थानीय संस्कृति और वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों का गहरा जुड़ाव है। ये दोनों राष्ट्रीय उद्यान न केवल विविध वन्य जीवों का निवासस्थल हैं, बल्कि आसपास के स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन स्थलों के संरक्षण के प्रयासों में पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति को एकीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को उनकी पहचान तथा उनकी पारिस्थितिकी को बनाए रखने में मदद मिलती है।

विशेषकर रणथंभौर में, वन्य जीवों के संरक्षण की विभिन्न योजनाओं के तहत स्थानीय आदिवासी समुदायों को शामिल किया गया है। इसके माध्यम से न केवल वे अपनी संस्कृति को बहाल रखते हैं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण में भी सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। सारिस्का में भी, अनेक समुदाय पर्यटकों के साथ अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं को साझा करते हैं, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि कैसे मानव और प्रकृति का संबंध एक साथ विकास कर सकता है।

पर्यटकों को इसका ध्यान रखना चाहिए कि जब वे इस ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर का दौरा करते हैं, तो वे इको-फ्रेंडली विकल्पों का चयन करें। जैसे कि स्थानीय उत्पादों की खरीदारी करना, पारंपरिक खानपान का अनुभव लेना और पर्यावरण के अनुकूल यात्रा साधनों का उपयोग करना। इसके परिणामस्वरूप, पर्यटक स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास में भी योगदान कर सकते हैं और वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ा सकते हैं। इस प्रकार, रणथंभौर और सारिस्का न केवल पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और संरक्षण प्रयासों के लिए भी अनिवार्य हैं।